UP Panchayat Election Alert: उत्तर प्रदेश में तीन स्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इसी बीच गोंडा जिले से एक बड़ा मामला सामने आया है। जिला प्रशासन ने 44 ग्राम पंचायतों को वित्तीय अनियमितताओं के चलते अधिभार नोटिस जारी कर दिए हैं। इन पंचायतों पर करोड़ों रुपये के विकास कार्यों में गड़बड़ी के आरोप हैं, जिनका पूरा लेखा-जोखा अभी तक प्रस्तुत नहीं किया गया। सीडीओ अंकिता जैन के निर्देश पर जारी ये नोटिस ऑडिट टीम की रिपोर्ट पर आधारित हैं।

चुनावी माहौल में यह कार्रवाई पारदर्शिता सुनिश्चित करने का संकेत दे रही है। आइए, इस मामले की गहराई में उतरते हैं—क्या हैं ये अनियमितताएं, कैसे हुई कार्रवाई, और पंचायत चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा।
UP Panchayat Election Alert: डिलिमिटेशन से लेकर तैयारियां
उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चुनाव अप्रैल-मई 2026 में होने की उम्मीद है। राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी के अंत तक अधिसूचना जारी करने की योजना बनाई है। 2021 के चुनावों के बाद शहरी विस्तार के कारण 512 ग्राम पंचायतें भंग हुईं, 9 नई बनीं, और कुल संख्या 57,694 हो गई। डिलिमिटेशन और पुनर्गठन का काम अंतिम चरण में है—जिसके लिए शहरी विकास विभाग को अस्थायी रोक लगाई गई है।
इस बीच, ग्रामीण स्तर पर उम्मीदवार सक्रिय हो चुके हैं। ग्राम प्रधान पद के दावेदार गांव-गांव में घूम रहे, लेकिन वित्तीय पारदर्शिता पर सख्ती बढ़ गई है। गोंडा जिले में यह कार्रवाई उसी कड़ी का हिस्सा है, जहां 58,195 से घटकर 57,694 पंचायतें हैं। पिछले चुनावों में 2,32,612 ग्राम पंचायत सदस्य, 38,317 प्रधान, 55,926 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 181 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। इस बार भी आरक्षण (महिलाओं के लिए 33%, एससी/एसटी/ओबीसी) का पालन होगा।
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गोंडा जिले में कार्रवाई: 44 पंचायतों पर अधिभार नोटिस क्यों?
गोंडा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों रुपये के विकास कार्यों—जैसे सड़क निर्माण, हैंडपंप लगाना, स्वच्छता अभियान
—में अनियमितता सामने आई। डीपीआरओ लालजी दूबे के अनुसार, ऑडिट टीम ने जांच में पाया कि इन 44 ग्राम
पंचायतों ने खर्च की गई धनराशि का पूरा हिसाब-किताब नहीं जमा किया। इसमें फर्जी बिल, अधूरी रिपोर्ट और
अतिरिक्त खर्च शामिल हैं।
सीडीओ अंकिता जैन ने तत्काल निर्देश दिए, और नोटिस जारी हो गए। प्रत्येक पंचायत को 15 दिनों का समय दिया
गया है—संतोषजनक जवाब और दस्तावेज न देने पर अग्रिम कार्रवाई होगी, जैसे प्रधानों पर जुर्माना, पद से हटाना या
आपराधिक मुकदमा। प्रभावित पंचायतों में तरई, कटरा, वाल्टरगंज जैसे ब्लॉक शामिल हैं। जिला प्रशासन का कहना है,
“यह चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम है, ताकि उम्मीदवारों पर कोई सवाल न उठे।”
| अनियमितता का प्रकार | प्रभावित राशि (अनुमानित) | कार्रवाई |
|---|---|---|
| फर्जी बिल और ओवर-इनवॉयसिंग | 2.5 करोड़ रुपये | 20 पंचायतें |
| अधूरी व्यय रिपोर्ट | 1.8 करोड़ रुपये | 15 पंचायतें |
| दस्तावेजों की कमी | 0.7 करोड़ रुपये | 9 पंचायतें |
यह टेबल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। कुल अनियमितता 5 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही।
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वित्तीय अनियमितताओं का मतलब: पंचायत फंड का दुरुपयोग कैसे?
पंचायतों को केंद्र और राज्य से मिलने वाले फंड—जैसे मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम आवास योजना—का
उपयोग विकास के लिए होता है। लेकिन अक्सर लेखा-जोखा न रखने से गड़बड़ी होती है। गोंडा मामले में मुख्य
समस्या ‘खर्च प्रमाण-पत्र’ न जमा करना था। ऑडिटरों ने पाया कि कुछ कार्य पूरे नहीं हुए, फिर भी पूरा भुगतान
दिखाया गया।
राज्य निर्वाचन आयोग के नियमों के तहत, चुनाव से 6 महीने पहले सभी पंचायतों का ऑडिट अनिवार्य है। गोंडा में
यह प्रक्रिया तेज की गई, क्योंकि डिलिमिटेशन के बाद सीटें प्रभावित हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है, “ऐसी
कार्रवाइयां भ्रष्टाचार रोकेंगी और उम्मीदवारों को साफ छवि वाला बनाएंगी।” विपक्ष ने इसे ‘चुनावी ड्रामा’ बताया,
लेकिन प्रशासन ने सफाई दी: “यह नियमों का पालन है।”
चुनाव पर प्रभाव: उम्मीदवारों की उम्मीदें, ग्रामीणों की चिंता
यह नोटिस पंचायत चुनाव को प्रभावित कर सकता है। प्रभावित प्रधानों को टिकट न मिलना या अयोग्य घोषित होना
संभव। ग्रामीणों में असमंजस—कई कह रहे, “विकास रुकेगा क्या?” लेकिन प्रशासन ने आश्वासन दिया कि फंडिंग
जारी रहेगी। 2026 चुनावों में 57,694 ग्राम पंचायतों के लिए 2.3 लाख+ सदस्य चुने जाएंगे। गोंडा जैसे जिलों में
यह मुद्दा प्रमुख हो सकता है।
निष्कर्ष: पारदर्शिता की सख्ती—चुनावी लोकतंत्र का मजबूत आधार
गोंडा की 44 ग्राम पंचायतों पर अधिभार नोटिस यूपी पंचायत चुनाव 2026 के लिए एक चेतावनी है—वित्तीय
अनियमितता बर्दाश्त नहीं। यह कार्रवाई न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी, बल्कि ग्रामीण शासन को मजबूत
बनाएगी। उम्मीदवारों को अब साफ-सुथरी छवि पर ध्यान देना होगा, ताकि विकास का असली लाभ गांव तक
पहुंचे। अगर राज्य भर में ऐसी सख्ती बनी रही, तो 2026 के चुनाव अधिक विश्वसनीय होंगे। लेकिन ग्रामीणों की
चिंता दूर करने के लिए त्वरित समाधान जरूरी—क्योंकि पंचायत ही लोकतंत्र की जड़ है।





