दुलारचंद यादव हत्याकांड: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच मोकामा में हुई दुलारचंद यादव हत्याकांड ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया है। जन सुराज पार्टी के समर्थक और पूर्व बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की संदिग्ध मौत ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि चुनाव आयोग को भी तुरंत कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया। आयोग ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए मोकामा के तीन अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया, जबकि पटना ग्रामीण एसपी समेत चार अन्य पर तबादले की कुल्हाड़ी चला दी।

यह कार्रवाई चुनावी हिंसा को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जो बिहार चुनाव 2025 के संवेदनशील माहौल को और नजदीक से रेखांकित करती है।
दुलारचंद यादव हत्याकांड का पूरा घटनाक्रम: क्या हुआ था मोकामा में?
30 अक्टूबर 2025 को मोकामा विधानसभा क्षेत्र के तारतर गांव के पास एक सामान्य चुनावी रैली ने हिंसक रूप ले लिया। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे दुलारचंद यादव और उनके साथियों का सामना जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह के गुट से हो गया। दोनों पक्षों के बीच जमकर पथराव और मारपीट हुई, जिसमें गोलीबारी की भी खबरें आईं। इस झड़प में दुलारचंद यादव गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय अस्पताल पहुंचाने के दौरान ही उनकी मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने मामले को और पेचीदा बना दिया। डॉक्टरों के अनुसार, दुलारचंद की मौत गोली लगने से नहीं, बल्कि सीने पर किसी वाहन के चढ़ने से हुई। हृदय और फेफड़ों में गंभीर चोट लगने के कारण कार्डियक अरेस्ट हो गया। यह खुलासा आने के बाद पुलिस ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं, जिनमें अनंत सिंह समेत कई नामजद आरोपी हैं। अब तक दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी फरार बताए जा रहे हैं। घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया, और दुलारचंद के समर्थकों ने शव यात्रा के दौरान अनंत सिंह को फांसी देने की मांग तक कर डाली।
चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई: कौन-कौन से अधिकारी हुए निशाने पर?
मीडिया में इस हत्याकांड को लेकर व्यापक बहस छिड़ने और विपक्षी दलों के आरोपों के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने महज 24 घंटों के अंदर बड़ा एक्शन लिया। आयोग ने लापरवाही, साजिश और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकामी के आरोप लगाते हुए निम्नलिखित कदम उठाए:
- निलंबन की सूची: बाढ़ के एसडीपीओ (सब-डिविजनल पुलिस ऑफिसर) को तत्काल निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, घोसवारी थाने के एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) मधुसूदन कुमार और भदौर थाने के एसएचओ रवि रंजन को भी दिन में ही सस्पेंड किया गया। ये तीनों अधिकारी घटनास्थल के आसपास तैनात थे और हिंसा को रोकने में कथित तौर पर विफल रहे।
- तबादले का दौर: पटना ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) का तबादला कर दिया गया। बाढ़-1 के एसडीपीओ राकेश कुमार और बाढ़-2 के एसडीपीओ अभिषेक सिंह को भी उनके पदों से हटा दिया गया। इनकी जगह 2022 बैच के आरआरपीएफ अधिकारियों आनंद कुमार सिंह और आयुष श्रीवास्तव को तैनात किया गया है। मोकामा के रिटर्निंग ऑफिसर और बाढ़ के एसडीओ चंदन कुमार को भी हटा दिया गया, उनकी जगह आईएएस अधिकारी आशीष कुमार को भेजा गया, जो पटना नगर निगम में अतिरिक्त आयुक्त थे।
आयोग ने बिहार के डीजीपी विनय कुमार को शनिवार दोपहर 12 बजे तक ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ (एटीआर) जमा करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में सभी कदमों का विस्तृत ब्योरा और सबूत शामिल करने को कहा गया है। ईसीआई ने स्पष्ट संदेश दिया कि चुनावी अवधि में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही, सभी लाइसेंसी हथियार जमा करने और अवैध हथियारों पर सख्ती बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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राजनीतिक हलचल: विपक्ष का हमला और सरकार का बचाव
इस हत्याकांड ने बिहार की सियासत को और गरमा दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने
सोशल मीडिया पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “दिनदहाड़े हत्या होती है, नामजद एफआईआर दर्ज होती है,
लेकिन आरोपी थाने के सामने से गुजरता है और प्रचार करता रहता है। 40 गाड़ियों का काफिला हथियारों से लैस
कैसे घूम रहा है? क्या चुनाव आयोग सो गया है?” तेजस्वी ने उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की और सरकार
पर गुंडाराज चलाने का आरोप लगाया।
आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी और उनके पति, पूर्व विधायक सूरजभान सिंह ने दुलारचंद के परिवार से मुलाकात की
और मामले को विधानसभा में उठाने का वादा किया। दूसरी ओर, जन सुराज पार्टी और जदयू ने इसे साजिश करार
दिया। जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि यह राजनीतिक सनसनी फैलाने की कोशिश
है। बिहार सरकार ने पुलिस बल बढ़ाने और इलाके में शांति बहाल करने का दावा किया, लेकिन विपक्ष इसे नाकाफी
बता रहा है।
यह घटना बिहार चुनाव 2025 के लिए एक चेतावनी की तरह है, जहां मोकामा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बाहुबलियों
का दबदबा अभी भी बरकरार है। दुलारचंद यादव खुद एक पूर्व गैंगस्टर से नेता बने थे, और उनकी मौत ने पुरानी
दुश्मनियों को फिर से उभार दिया है।
निष्कर्ष: चुनावी हिंसा पर लगाम लगाने की जरूरत
दुलारचंद यादव हत्याकांड और चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़
साबित हो रही है। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की कमजोरियों को उजागर करती है, बल्कि पूरे सिस्टम को
आत्ममंथन के लिए मजबूर भी कर रही है। ईसीआई का यह कदम प्रशंसनीय है, जो दिखाता है कि आयोग हिंसा के
प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल कर रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह एक्शन पर्याप्त है? बिहार जैसे
राज्य में जहां चुनावी रंजिशें अक्सर खूनी खेल बन जाती हैं, वहां लंबे समय के लिए कानून-व्यवस्था मजबूत करने
की आवश्यकता है। उम्मीद है कि यह मामला जल्द न्यायिक जांच के दायरे में आएगा और भविष्य में ऐसी त्रासदियां
दोहराई न जाएं। बिहार चुनाव 2025 शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो, यही सबकी कामना है।
FAQ: दुलारचंद यादव हत्याकांड से जुड़े सवालों के जवाब
1. दुलारचंद यादव कौन थे और उनकी मौत कैसे हुई? दुलारचंद यादव जन सुराज पार्टी के समर्थक और पूर्व बाहुबली
नेता थे। 30 अक्टूबर 2025 को मोकामा में चुनावी हिंसा के दौरान सीने पर वाहन चढ़ने से उन्हें गंभीर चोट लगी, जिसके
कारण कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई। गोली लगने की प्रारंभिक रिपोर्ट गलत साबित हुई।
2. चुनाव आयोग ने किन अधिकारियों पर कार्रवाई की? आयोग ने मोकामा के तीन अधिकारियों – बाढ़ एसडीपीओ,
घोसवारी एसएचओ मधुसूदन कुमार और भदौर एसएचओ रवि रंजन – को निलंबित किया। पटना ग्रामीण एसपी समेत
चार अन्य का तबादला किया गया, जिसमें बाढ़ के दो एसडीपीओ और मोकामा रिटर्निंग ऑफिसर शामिल हैं।
3. इस मामले में कितनी एफआईआर दर्ज हुई हैं? पुलिस ने दुलारचंद यादव हत्याकांड से जुड़ी तीन एफआईआर दर्ज
की हैं। जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह समेत कई नामजद आरोपी हैं, और दो संदिग्ध गिरफ्तार हो चुके हैं।
4. तेजस्वी यादव ने इस घटना पर क्या कहा? तेजस्वी ने सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा, कहा कि आरोपी
खुलेआम हथियार लेकर घूम रहे हैं और कानून का राज खत्म हो गया है। उन्होंने न्यायिक जांच की मांग की।
5. बिहार चुनाव 2025 पर इस हत्याकांड का क्या असर पड़ेगा? यह घटना मोकामा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तनाव बढ़ा
रही है, लेकिन ईसीआई की कार्रवाई से शांति बहाली की उम्मीद है। विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है, जो चुनावी समीकरण
बदल सकती है।





