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Cheque Bounce Rule 2025: 2 साल जेल और दोगुना जुर्माने का प्रावधान | सेक्शन 138 NI एक्ट की पूरी प्रक्रिया समझें

On: October 28, 2025 6:42 AM
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Cheque Bounce Rule 2025: चेक बाउंस की समस्या आज भी व्यापारियों, लेनदारों और आम लोगों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। लेकिन 2025 में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI एक्ट) की धारा 138 में बड़े बदलाव आए हैं, जो चेक बाउंस को अपराध मानते हुए सख्त सजा सुनिश्चित करते हैं। अब चेक बाउंस होने पर 2 साल तक की जेल और चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना लग सकता है। ये संशोधन न केवल न्याय की गति बढ़ाते हैं, बल्कि वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने में भी मददगार साबित हो रहे हैं। अगर आप चेक जारी करने या प्राप्त करने वाले हैं, तो इन नए नियमों को जानना जरूरी है।

Cheque Bounce Rule 2025
Cheque Bounce Rule 2025

इस लेख में हम चेक बाउंस की पूरी प्रक्रिया, सजा और बचाव के उपायों को सरल भाषा में समझाएंगे, ताकि आप सतर्क रह सकें।

Cheque Bounce Rule 2025 क्या है? बेसिक समझें

चेक बाउंस तब होता है जब बैंक चेक को अपर्याप्त फंड्स, सिग्नेचर मिसमैच या स्टॉप पेमेंट इंस्ट्रक्शन के कारण अस्वीकार कर देता है। NI एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत यह एक आपराधिक अपराध माना जाता है, क्योंकि चेक एक वित्तीय वादा होता है। 2025 के अपडेट्स से पहले, ये मामले लंबे समय तक कोर्ट में अटक जाते थे, लेकिन अब प्रक्रिया तेज और डिजिटल हो गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल लाखों चेक बाउंस केस दर्ज होते हैं, जो व्यापार को प्रभावित करते हैं। यह नियम न केवल पैसे की वसूली सुनिश्चित करता है, बल्कि चेक जारी करने वालों को जिम्मेदार बनाता है। अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो तुरंत कार्रवाई करें, वरना कानूनी पचड़ा हो सकता है।

2025 में चेक बाउंस नियमों में मुख्य बदलाव: क्या नया है?

2025 में NI एक्ट में कई महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं, जो अप्रैल और सितंबर से लागू हो चुके हैं। इनका उद्देश्य कोर्ट में लंबित मामलों को कम करना, रिकवरी को तेज करना और डिफॉल्टर्स को जवाबदेह बनाना है। प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:

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  • डिजिटल नोटिस और शिकायत: अब लीगल नोटिस ईमेल या एसएमएस से भेजी जा सकती है, जो पहले केवल रजिस्टर्ड पोस्ट से संभव था। शिकायतें भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं।
  • तेज ट्रायल प्रक्रिया: कोर्ट को 12 महीने में फैसला सुनाना अनिवार्य है, और BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के तहत आरोपी को प्री-कॉग्निजेंस हियरिंग का मौका मिलेगा।
  • सख्त सजा: जुर्माना चेक राशि के दोगुने तक बढ़ा दिया गया है, और कोर्ट फीस व अन्य खर्च आरोपी को वहन करने पड़ेंगे।
  • यूनिफॉर्म बैंकिंग एक्शन: सभी बैंकों में एकसमान प्रक्रिया लागू, ताकि कोई बैंक चेक बाउंस को हल्के में न ले।
  • फ्रिवोलस केस पर पेनल्टी: गलत शिकायतों पर शिकायतकर्ता को जुर्माना, जो दुरुपयोग रोकेगा।

ये बदलाव वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाते हैं और छोटे व्यापारियों को राहत देते हैं।

चेक बाउंस पर सजा: 2 साल जेल और दोगुना जुर्माना

चेक बाउंस का सबसे बड़ा डर सजा का है। धारा 138 के तहत, अपराध साबित होने पर:

सजा का प्रकारविवरण
जेलअधिकतम 2 साल तक की साधारण कैद
जुर्मानाचेक राशि के दोगुने तक (जैसे ₹1 लाख चेक पर ₹2 लाख जुर्माना)
अतिरिक्त खर्चकोर्ट फीस, वकील फीस और अन्य लीगल खर्च आरोपी द्वारा वहन
वैकल्पिकजुर्माना भरने पर जेल माफ हो सकती है, लेकिन कोर्ट तय करता है

2025 के नए नियमों से जुर्माना अनिवार्य रूप से दोगुना हो गया है, जो पहले वैकल्पिक था। अगर चेक बाउंस जानबूझकर हुआ (जैसे फ्रॉड), तो IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत अतिरिक्त मुकदमा चल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों से स्पष्ट है कि चेक बाउंस केवल अपर्याप्त फंड्स पर ही नहीं, बल्कि किसी भी डिशॉनर पर लागू होता है।

चेक बाउंस की प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप गाइड

चेक बाउंस होने पर प्रक्रिया सरल लेकिन समयबद्ध है। 2025 में इसे और आसान बना दिया गया है:

  1. बैंक से मेमो प्राप्त करें: चेक प्रेजेंट करने पर बैंक 7 दिनों के अंदर रिटर्न मेमो जारी करेगा, जिसमें कारण लिखा होगा।
  2. लीगल नोटिस भेजें: मेमो मिलने के 30 दिनों के अंदर आरोपी को नोटिस भेजें, जिसमें 15 दिनों में पेमेंट की मांग करें। अब ईमेल/SMS वैलिड है।
  3. कोर्ट में शिकायत: 15 दिनों के बाद अगर पेमेंट न हो, तो अगले 30 दिनों में मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस फाइल करें। ऑनलाइन पोर्टल से आसान।
  4. ट्रायल और सुनवाई: आरोपी को समन मिलेगा। BNSS के तहत प्री-कॉग्निजेंस हियरिंग होगी, फिर सबूत पेश करें।
  5. फैसला और अपील: कोर्ट 12 महीने में फैसला देगा। अपील सेशन कोर्ट में 30 दिनों में।

प्रक्रिया में मूल चेक, मेमो और नोटिस की कॉपी जरूरी सबूत हैं। वकील की मदद लें, क्योंकि छोटी गलती केस खारिज करा सकती है।

चेक बाउंस से बचाव: क्या करें?

चेक बाउंस से बचना आसान है अगर सावधानी बरतें। प्राप्तकर्ता के रूप में:

  • चेक जारी करने से पहले बैलेंस चेक करें।
  • डिजिटल पेमेंट जैसे UPI या RTGS को प्राथमिकता दें।
  • अगर बाउंस हो जाए, तो तुरंत पेमेंट करें ताकि नोटिस रद्द हो सके।

जारीकर्ता के रूप में:

  • स्टॉप पेमेंट से बचें; अगर जरूरी हो, तो लिखित सहमति लें।
  • CIBIL स्कोर पर असर पड़ता है, इसलिए नियमित ट्रांजेक्शन मॉनिटर करें।
  • पार्टनरशिप फर्म में सभी पार्टनर्स को नोटिस सर्व करें।

ये टिप्स 2025 के नियमों के अनुरूप हैं और कानूनी झंझट से बचाएंगे।

निष्कर्ष: वित्तीय जिम्मेदारी अपनाएं, मुकदमों से दूर रहें

2025 के चेक बाउंस नियमों ने NI एक्ट को अधिक प्रभावी बना दिया है, जहां 2 साल की जेल और दोगुना जुर्माना डिफॉल्टर्स के लिए चेतावनी है। ये बदलाव न केवल पैसे की वसूली को आसान बनाते हैं, बल्कि व्यापारिक विश्वास को भी मजबूत करते हैं। लेकिन याद रखें, कानून का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि निवारण है। हमेशा ईमानदार ट्रांजेक्शन करें, दस्तावेज संभालें और जरूरत पड़ने पर वकील से सलाह लें। इससे न केवल आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी बढ़ेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!

FAQ: चेक बाउंस नियम 2025 से जुड़े सवाल

1. चेक बाउंस पर अधिकतम सजा क्या है? जवाब: 2 साल की जेल और चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना।

2. लीगल नोटिस कब भेजना चाहिए? जवाब: बैंक मेमो मिलने के 30 दिनों के अंदर, और पेमेंट के लिए 15 दिन का समय दें।

3. क्या ईमेल से नोटिस वैलिड है? जवाब: हां, 2025 के नियमों के तहत ईमेल या एसएमएस से लीगल नोटिस भेजा जा सकता है।

4. चेक बाउंस केस कितने समय में सुलझेगा? जवाब: कोर्ट को 12 महीने में फैसला सुनाना अनिवार्य है, लेकिन प्रैक्टिस में 1.5-2 साल लग सकते हैं।

5. क्या स्टॉप पेमेंट पर भी केस बनता है? जवाब: हां, अगर यह जानबूझकर हो और फंड्स पर्याप्त हों, तो धारा 138 लागू होती है।

6. CIBIL स्कोर पर चेक बाउंस का असर? जवाब: हां, यह क्रेडिट स्कोर कम कर सकता है और लोन लेने में दिक्कत पैदा करेगा।

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