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SIR Data Entry News: स्कूली बच्चे कर रहे SIR Data Entry, गलती हुई तो कौन होगा जिम्मेदार? सिस्टम पर उठे सवाल

On: December 1, 2025 1:49 PM
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SIR Data Entry News: वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान में एक नया मोड़ आ गया है। देशभर में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर भारी दबाव की वजह से कई जगहों पर स्कूली बच्चों को डेटा एंट्री का काम सौंपा जा रहा है। यह सुनने में अजीब लगे, लेकिन ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में यह प्रैक्टिस आम हो चली है।

SIR Data Entry News
SIR Data Entry News: स्कूली बच्चे कर रहे SIR Data Entry, गलती हुई तो कौन होगा जिम्मेदार? सिस्टम पर उठे सवाल

गलत एंट्री से वोटर का नाम गायब हो सकता है या डुप्लिकेट बन सकता है, तो सवाल उठता है – अगर कोई चूक हुई तो

जिम्मेदार कौन बनेगा? चुनाव आयोग (ECI) का सिस्टम कितना मजबूत है? आइए, इस मुद्दे को करीब से देखें, खासकर

उन लाखों परिवारों के नजरिए से जो इस प्रक्रिया पर निर्भर हैं।

SIR Data Entry News: SIR अभियान में डेटा एंट्री की चुनौतियां क्या हैं?

SIR 2025 का दूसरा फेज 4 नवंबर से शुरू हुआ, जिसमें 12 राज्यों और UTs में 51 करोड़ से ज्यादा वोटर्स को कवर

किया जा रहा है।

ECI का मकसद पुरानी 2003 की लिस्ट से मैच करके डुप्लिकेट, डेड या शिफ्टेड वोटर्स को हटाना है। BLOs घर-घर

जाकर एन्यूमरेशन फॉर्म बांट रहे हैं, जो प्री-फिल्ड होते हैं – नाम, EPIC ID, एड्रेस सब पहले से प्रिंटेड।

लेकिन असली दिक्कत है डिजिटाइजेशन में। 27 नवंबर तक 68% फॉर्म्स (लगभग 34 करोड़) डिजिटाइज हो चुके हैं,

लेकिन BLOs की शिकायत है कि वर्कलोड असहनीय है।

वेस्ट बंगाल जैसे राज्यों में BLOs ने 15 नवंबर को ही एक्सटेंशन और डेटा एंट्री हेल्प की मांग की। कुछ जगहों पर, जैसे

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण ब्लॉक्स में, BLOs ने लोकल स्कूलों से बच्चों को बुलाया – क्लास 10-12 के स्टूडेंट्स को कंप्यूटर

लैब में बिठाकर फॉर्म्स की डिटेल्स voters.eci.gov.in पोर्टल पर एंटर करवाई जा रही हैं।

एक BLO ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें 500-600 फॉर्म्स हैंडल करने हैं, दिन-रात काम। बच्चे फास्ट टाइप

करते हैं, तो मदद ले ली।”

लेकिन यह तरीका रिस्की है, क्योंकि बच्चे प्राइवेसी लॉज या वेरिफिकेशन प्रोसेस से अनजान होते हैं।

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स्कूली बच्चे क्यों कर रहे हैं डेटा एंट्री? BLOs की मजबूरी

BLOs ज्यादातर सरकारी टीचर्स या पेंशनर्स होते हैं, जिन्हें SIR के अलावा अपनी रेगुलर जॉब भी निभानी पड़ती है।

30 नवंबर को ECI ने डेडलाइन एक हफ्ते बढ़ा दी (अब 11 दिसंबर तक), क्योंकि BLOs पर स्ट्रेस इतना था कि कुछ

जगहों पर सुसाइड केसेज भी रिपोर्ट हुए। ऐसे में, कई BLOs ने स्कूलों से टाई-अप किया। मिसाल के तौर पर, बिहार

के पायलट फेज में (जहां 68 लाख नाम डिलीट हुए) इसी तरह की शिकायतें आईं। बच्चे मोबाइल ऐप ECINET पर

फॉर्म स्कैन करके अपलोड कर रहे हैं, लेकिन ट्रेनिंग की कमी से एरर्स हो रहे हैं – जैसे DOB गलत एंटर होना या एड्रेस

मिसमैच।

एक सर्वे के मुताबिक, 20% डेटा एंट्री एरर्स मानवीय चूक से होते हैं। स्कूलों में यह काम ‘सोशल सर्विस’ के नाम पर

हो रहा है, लेकिन बच्चों को कोई रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं दी जा रही। माता-पिता चिंतित हैं कि अगर उनका वोटर डिटेल्स

लीक हो गया या गलत अपडेट हो गया, तो क्या होगा?

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गलती हुई तो जिम्मेदारी किसकी? सिस्टम पर सवाल

अगर डेटा एंट्री में चूक हुई, तो वोटर लिस्ट से नाम कट सकता है, जो ड्राफ्ट रोल (9 दिसंबर 2025) पब्लिश होने के बाद

ही पता चलेगा। क्लेम्स/ऑब्जेक्शन का समय 8 जनवरी 2026 तक है, लेकिन तब तक देरी हो चुकी होगी।

जिम्मेदारी

का सवाल बड़ा है – BLO कहेंगे कि बच्चे ने गलती की, स्कूल कहेगा कि हम सिर्फ मदद कर रहे थे, और ECI कहेगा कि

सिस्टम ऑटो-वेरिफाई करता है। लेकिन रियलिटी में, कोई सिंगल अकाउंटेबिलिटी नहीं।

सिस्टम की कमियां साफ हैं: पोर्टल पर पुरानी लिस्ट (2002-2004) से मैचिंग मैन्युअल है, ऑटोमेशन कम है। 11

इंडिकेटिव डॉक्यूमेंट्स (आधार, राशन कार्ड आदि) अपलोड करने की सुविधा है, लेकिन ग्रामीण एरिया में इंटरनेट

इश्यूज से प्रॉब्लम।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ECI को आउटसोर्स्ड डेटा एंट्री टीम्स लगानी चाहिए, न कि बच्चों पर बोझ डालना। वेस्ट

बंगाल में BLOs की एगिटेशन ने इसे हाइलाइट किया – अगर वर्कलोड मैनेज न हुआ, तो डेमोक्रेसी का बेस ही कमजोर

पड़ जाएगा।

सुधार के तरीके: क्या किया जा सकता है?

ECI ने गाइडलाइंस जारी की हैं – फॉर्म भरते समय सावधानी बरतें, डॉक्यूमेंट्स चेक करें। अगर नाम मिसिंग है, तो फॉर्म 6

भरें। लेकिन डेटा एंट्री के लिए:

  • BLOs को ट्रेनिंग दें, बच्चों को इन्वॉल्व न करें।
  • पोर्टल पर AI-बेस्ड एरर चेकिंग ऐड करें।
  • हेल्प डेस्क्स बढ़ाएं, जहां लोकल वॉलंटियर्स सुपरवाइज करें। माता-पिता को सलाह: अपना EPIC चेक करें, फॉर्म
  • सबमिशन का स्टेटस ट्रैक करें।

निष्कर्ष: मजबूत सिस्टम से ही मजबूत वोटिंग

SIR डेटा एंट्री में स्कूली बच्चों का इस्तेमाल एक अस्थायी समाधान लगता है, लेकिन यह सिस्टम की गहरी खामियों को

उजागर करता है। BLOs की मेहनत सराहनीय है, लेकिन बिना सपोर्ट के यह बोझ बन जाता है। ECI को अब डिजिटल

इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना होगा, ताकि वोटर लिस्ट एक्यूरेट बने और हर नागरिक का वोट सुरक्षित हो। आखिर, लोकतंत्र

की ताकत साफ-सुथरी लिस्ट में ही है। अगर आपका फॉर्म पेंडिंग है, तो आज ही चेक करें – आने वाले चुनावों में आपका

वोट इंतजार कर रहा है।

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